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अटल युग का अंत

आज बहुत दिन बाद मन हुआ कुछ लिखने का ... आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेयी जी की अंतिम यात्रा निकाली गई । इस अंतिम यात्रा के साथ ही भारतीय राजनीति के एक युग का अंत हो जिसे हम किताबों में अनेकता में एकता के नाम से जानते थे । बचपन में हम सब लोगों को पढ़ाया जाता था कि भारत और  भारतीय संस्कृति दूसरी सभ्यताओं से सिर्फ इसलिए अलग है कि इसने हज़ारों दूसरी संस्कृतियों को अपनी भिन्नताओं वैचारिक मतभेदों के बावजूद अपनाया आत्मसात किया और अपना एक अभिन्न अंग बना लिया । दुनिया के सभी बड़े धर्मों के लोग भारत में है , यहां हर राज्य हर जिले की अपनी ही एक भाषा है , सबकी अलग पहचान ,खान पान और वेशभूषा है .. कोश कोश में बदले बानी, चार कोश में पानी... हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हम सब है भाई भाई ... वसुधैव कुटुम्बकम... आदि के नारे किताबों से लेकर फिल्मों के पोस्टरों तक देखे जाते थे ...फिल्मों में भी ईद और दीवाली एक साथ मनाते दिखाया जाता था ...साम्यवाद ,सेकुलरिज्म ,मध्यममार्ग जैसी विचारधारा को भारतीय संस्कृति का पर्याय समझा जाता था । सैकड़ों पार्टियाँ और हजारों नामी नेता हुआ करते थे । सबको सबकी